अरुशी अब पूरी तरह मुझमें खो चुकी थी। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, और मैं उसके बदन को कसकर पकड़े हुए था। उसकी चूचियाँ मेरी हथेलियों में थीं, और उसकी नज़रें मेरे लंड पर टिकी थीं, जो उसकी चूत के दरवाजे पर खड़ा था।
“मामा… धीरे से करना,” अरुशी ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा।
मैंने हल्की मुस्कान के साथ उसकी रानों को और फैलाया, ताकि उसकी चूत पूरी तरह मेरे लंड का स्वागत करने को तैयार हो सके।
“डर मत मेरी जान, तुझे पूरा मज़ा मिलेगा,” मैंने कहा और धीरे-धीरे अपने लंड का सिर उसकी फाँक के ऊपर रखा।
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अरुशी की चूत गीली हो चुकी थी, लेकिन फिर भी पहली बार के लिए थोड़ी टाइट थी। मैं जानता था कि पहली बार दर्द होगा, इसलिए मैंने पहले अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर रगड़ना शुरू किया। मेरी जीभ उसके निपल्स पर घूम रही थी, और मैं उसके बदन के हर हिस्से को मुँह से चूमते हुए आगे बढ़ रहा था।
“आआह मामा, बहुत अच्छा लग रहा है,” अरुशी ने आँखें बंद कर लीं और अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया।
मैंने धीरे से लंड को उसके अंदर धकेला। सिर अंदर जाते ही अरुशी की कमर उठ गई।
“आआआह मामा, दर्द हो रहा है!” वो हल्के से चीख पड़ी।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धीरे-धीरे और अंदर धँसने लगा। “बस अभी थोड़ी देर, फिर मज़ा ही मज़ा है,” मैंने उसके कान में फुसफुसाया।
अब मेरे लंड का आधा हिस्सा उसकी चूत के अंदर था। अरुशी की टाइट फाँक मेरे लंड को कसकर जकड़े हुई थी। मैं रुका और उसके निपल्स को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। इससे उसका ध्यान बँटा, और मैं धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में धँसा दिया।
“आआआह मामा, पूरा अंदर चला गया!” अरुशी ने मेरी कमर पकड़ ली और अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए।
“तू कितनी टाइट है मेरी जान, बस अब तुझे चोदने में पूरा मज़ा आएगा,” मैंने कहा और धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया।
अब मैं उसके ऊपर झुका था, और उसका बदन मेरे लंड के हर धक्के के साथ हिल रहा था। अरुशी की आँखें अब मुझसे मिलने लगीं, और उसकी साँसें और तेज़ हो गईं।
“ओह मामा… आआह! और तेज़ करो!” उसने कहा और अपनी टाँगें मेरे कमर के चारों ओर लपेट लीं।
मैंने उसकी बात मानी और अब पूरी ताकत से पेलना शुरू किया। उसका बिस्तर चरमरा रहा था, और उसकी चूत की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं।
“आआआह मामा, बस करो, बहुत हो गया,” उसने कहा, लेकिन मैं जानता था कि उसे अब मज़ा आ रहा था।
मैं रुका नहीं, उसकी चूचियों को कसकर पकड़ते हुए चोदता रहा। उसकी चूत अब मेरी लंड के हिसाब से ढलने लगी थी, और हर धक्के के साथ वो मुझे और कसकर पकड़ रही थी।
“आआआह मामा, मम्मी की तरह मुझे भी चोदते रहो,” अरुशी ने कहा और मेरे लंड पर झुककर उसे चूसने लगी।
“अभी रुको, मेरी जान। अभी तो बस शुरुआत है,” मैंने कहा और उसे पलटकर पेट के बल लिटा दिया।
अब उसकी चिकनी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और पीछे से ज़ोर-ज़ोर से पेलना शुरू किया। उसकी गांड के उभार मेरे पेट से टकरा रहे थे, और उसकी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
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“ओह मामा, आआआह! बहुत अच्छा लग रहा है,” उसने कहा और अपनी कमर को मेरे धक्कों के हिसाब से आगे-पीछे करने लगी।
अब मैंने उसकी गर्दन पकड़कर उसे अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया। उसकी जुबान मेरे मुँह में घूम रही थी, और हम दोनों एक-दूसरे के साथ पूरी तरह बह चुके थे।
“अब मैं अंदर ही डालने वाला हूँ,” मैंने कहा और अपना लंड उसके अंदर और गहरा धकेल दिया।
“हाँ मामा, अंदर डाल दो, मैं तैयार हूँ,” अरुशी ने कहा और अपनी चूत को और कसकर पकड़ लिया।
अब मैं तेज़ी से पेलने लगा, और कुछ ही देर में मेरा सारा वीर्य उसकी चूत में फूट पड़ा। अरुशी ने भी ज़ोर से मेरे बदन को पकड़ लिया और काँपने लगी।
हम दोनों एक-दूसरे के गले लगे हुए थे, और पसीने से तरबतर हो चुके थे।
“अब तू मेरी पूरी तरह से हो चुकी है,” मैंने कहा और उसके माथे को चूम लिया।
“हाँ मामा, अब रोज़ चोदना,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
उस रात हमने दो बार और किया। पहली बार का नशा उतरते ही अरुशी ने खुद ही मुझे पकड़कर अपनी चूत में मेरा लंड डलवाया।
अब मैं जब भी दीदी के घर आता हूँ, तो अरुशी हमेशा मेरे लिए तैयार रहती है। मैं पहले दीदी को चोदता हूँ, और फिर रात को अरुशी को चोदकर अपने मज़े लेता हूँ।