भाभी ने अपनी चूत चुदवाई जुए में हारकर (Bhabhi ne apni chut chudwaya)

मेरा नाम राजीव है, उम्र उस वक्त १८ साल थी, अब ४० की हो चुकी है। मैं गोरा हूँ, ५ फुट ११ इंच लंबा, दुबला-पतला लेकिन ताकतवर बदन, और चेहरे पर हल्की दाढ़ी जो मुझे जवान लड़कियों में पॉपुलर बनाती थी। मैं लड़कियों को पटाने में माहिर था, बातों से दिल जीत लेता था। मेरे बड़े भैया, रमेश, २८ साल के थे, सांवले, मझोले कद के, और ऑफिस में क्लर्क की नौकरी करते थे। उनकी नई-नवेली बीवी, मेरी भाभी, राधा, २४ साल की थी। भाभी एकदम गोरी, चिकनी त्वचा, ३४-२८-३० का फिगर, और लंबे काले बाल जो उनकी कमर तक लहराते थे। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी, और हंसी में एक शरारत थी जो दिल को चुरा लेती थी। हमारे घर में मम्मी, ५० साल की, सख्त मिजाज लेकिन मंदिर की भक्त, और दूसरे भैया अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ ऊपरी माले पर रहते थे। हमारा घर गांव में था, दो मंजिला, पुराना लेकिन मजबूत, जहां रात को सन्नाटा छा जाता था।

ये बात तब की है जब भैया की शादी को २०-२२ दिन हो चुके थे। भाभी घर आई तो मैं तो बस देखता रह गया। उनकी चाल, साड़ी में उभरता बदन, और वो हल्की मुस्कान मुझे रातों को जगाए रखती थी। मेरा कमरा भैया के कमरे के ठीक बगल में था। रात को जब वो चुदाई करते, तो भाभी की सिसकियां और भैया की भारी सांसें मेरे कमरे तक आती। मैं दीवार से कान लगाकर सुनता, और मेरा लंड तन जाता। भाभी की आवाज में एक कशिश थी, जैसे वो मजे ले रही हो, पर कहीं अधूरी भी थी। मैं सोचता, भैया तो सांवले और साधारण हैं, भाभी जैसी हसीना को क्या पूरा मजा दे पाते होंगे?

भाभी ने घर का काम संभाल लिया था। मैं सुबह स्कूल जाता, फिर भैया के ऑफिस। पर जब से भाभी आई, मेरी नजरें बस उन पर टिकती। वो साड़ी में रसोई में काम करती, तो उनकी कमर का उभार और चूचों की गोलाई मुझे बेकरार कर देती। मैं उनसे हंसी-मजाक करने लगा। कभी नॉन-वेज जोक सुनाता, तो वो हंसकर टाल देती। उनकी हंसी में एक छुपा हुआ नशा था, जैसे वो मेरी बातों का मजा ले रही हो। मुझे लगने लगा कि भाभी को भी मेरी शरारतें पसंद हैं।

एक दिन मैंने स्कूल से जल्दी छुट्टी ले ली। भैया को फोन किया कि पेट में दर्द है, मैं घर आ रहा हूँ। दोपहर १ बजे मैं घर पहुंचा। मम्मी बाहर वाले कमरे में सो रही थी, और भाभी अपने कमरे में थी। मेरे आने की आवाज से मम्मी जाग गई, पर भाभी सोती रही। मैंने खाना खाया और मम्मी से कहा, “मैं सोने जा रहा हूँ।” पर नींद कहाँ थी? मेरा दिमाग बस भाभी के इर्द-गिर्द घूम रहा था।

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३ बजे मैं उठा। भाभी तब तक जाग चुकी थी और रसोई में चाय बना रही थी। उनकी नीली साड़ी में वो और भी हसीन लग रही थी। मैंने कहा, “भाभी, क्या हुआ? तबीयत ठीक नहीं?” वो बोली, “बस, पेट में थोड़ा दर्द है।” उनकी आवाज में वही शरारत थी। मम्मी ३:३० बजे मंदिर चली गई, जैसा उनका रोज का रूटीन था। वो ६:३०-७:०० तक दूध लेने के बाद लौटती थी। बड़ी भाभी बच्चों में व्यस्त थी, नीचे कम आती थी। घर में अब सिर्फ मैं और भाभी थे।

मैंने कहा, “भाभी, चलो मूवी देखते हैं।” वो बोली, “नहीं, अभी मूड नहीं है।” मैंने कहा, “तो चलो ताश खेलते हैं।” वो हंसकर मान गई। हम ड्राइंग रूम में बैठकर ताश खेलने लगे। खिड़की से हल्की धूप आ रही थी, और भाभी की गोरी त्वचा चमक रही थी। खेलते-खेलते मैंने मजाक किया, “देखो भाभी, बेगम पर गुलाम आ गया, मैं तो आप पर आ गया!” वो जोर से हंसी, और बोली, “राजीव, तू तो बड़ा शरारती है!” उनकी हंसी ने मेरे जोश को और बढ़ा दिया। मैंने मौका देखकर उनके गाल पर एक चुम्मा ले लिया। वो बोली, “ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “देवर का हक बनता है, भाभी। मैं तो आपका गुलाम हूँ!” वो फिर हंसी, और मुझे लगा कि रास्ता खुल रहा है।

मैंने कहा, “भाभी, यहाँ गर्मी है। आपके रूम में चलते हैं, वहाँ AC है।” वो मान गई। उनके कमरे में परफ्यूम की हल्की खुशबू थी, जो मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने पूछा, “ये कौन सा परफ्यूम है?” वो बोली, “तेरे भैया ज्यादा यूज करते हैं।” मैंने मजाक में कहा, “जरा दिखाओ।” मैंने उनकी अलमारी खोली। वहाँ उनकी लाल नाइटी, काली ब्रा, और पैंटी टंगी थी। मैंने उनकी ब्रा उठाई और कहा, “भाभी, ये तो बहुत सेक्सी है। इसे पहनकर दिखाओ न!” वो हंसकर बोली, “छी, तू भी ना!” पर उनकी आँखों में शरारत थी।

मैंने मौका नहीं छोड़ा। मैंने उन्हें अपनी बाहों में खींच लिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो छुड़ाने की कोशिश करने लगी, बोली, “राजीव, ये ठीक नहीं है।” पर मैंने उनके होंठों को जोर से चूसना शुरू किया। उनकी सांसें तेज हुई, और वो धीरे-धीरे नरम पड़ने लगी। उनका जिस्म गर्म हो रहा था, और उनकी आँखें बंद हो गई। मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया। वो बोली, “राजीव, बस इतना ही। आगे मत बढ़।” मैंने कहा, “भाभी, बस थोड़ा प्यार कर रहा हूँ। कुछ गलत नहीं करूँगा।” वो चुप हो गई।

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मैं उनके होंठों को चूमने लगा, और अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मेरा ८ इंच का लंड पैंट में तनकर तंबू बना रहा था। मैं उनके ऊपर चढ़ गया। मेरा लंड उनकी जांघों से टकरा रहा था, और वो हल्की सिसकियां ले रही थी। मैंने उनकी साड़ी धीरे-धीरे ऊपर की। उनकी चिकनी, गोरी जांघें मेरे पैरों से रगड़ रही थी। मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दिया। अब मेरा लंड उनकी चूत के पास रगड़ रहा था। वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मैं नीचे झुका और उनकी जांघों पर चूमने लगा। उनकी त्वचा इतनी नरम थी कि मेरा मुँह फिसल रहा था। वो अपने चूचे दबाने लगी और बोली, “राजीव, अब नहीं सहा जाता। मेरी चूत में कुछ कर!”

मैंने उनकी पैंटी उतार दी। उनकी चूत गीली थी, और पानी टपक रहा था। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा। वो सिसक रही थी, “हाय, राजीव, डाल दे!” मैंने उनका ब्लाउज खोला और अपनी टी-शर्ट उतारी। फिर उनकी ब्रा खोली। उनके गुलाबी निप्पल देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उनके चूचों को जोर-जोर से चूसना शुरू किया। वो बोली, “मैं पागल हो रही हूँ। मेरी चूत में तेरा लंड डाल!” मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रखा और धीरे से अंदर डाला। वो दर्द से चीखी, “हाय, कितना मोटा है!” उनकी चूत का पानी मेरे लंड को और गहराई में ले जा रहा था। मैंने एक जोरदार झटका मारा, और मेरा ५ इंच लंड उनकी चूत में समा गया। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे, ताकि उनकी चीख बाहर न जाए।

वो मेरे लंड से डर रही थी, पर मैं अब रुकने वाला नहीं था। मैंने जोर-जोर से झटके मारने शुरू किए। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जा चुका था। वो दर्द और मजे में सिसक रही थी, “राजीव, धीरे… पर मत रुक!” मैंने १५ मिनट तक उनकी चुदाई की। उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी, और वो अब पूरी तरह मजे ले रही थी। उसने कहा, “मुझे तेरा लंड चूसना है।” उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। अब हम दोनों नंगे थे। उसका जिस्म देखकर मैं हैरान था। उसकी चिकनी कमर, गोल चूचे, और गीली चूत किसी अप्सरा की तरह थी।

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वो बेड पर बैठी और मुझे लिटा दिया। फिर मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चाटने लगी। वो बोली, “अगर मुझे पता होता कि तेरा लंड इतना मस्त है, तो मैं शादी के दूसरे दिन ही तुझसे चुदवा लेती।” वो मेरे लंड को जोर-जोर से चूस रही थी। मैं उसके चूचे मसल रहा था, और उसकी चूत में उंगली डाल रहा था। उसने मेरा पानी पी लिया और चूसती रही। मेरा लंड फिर तन गया। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक चूमना शुरू किया। उसकी त्वचा मलाई की तरह थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा, और वो सिसकियां लेने लगी, “राजीव, बस कर… अब मेरी चूत में डाल दे!”

मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला। वो चीखी, पर दो मिनट बाद वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। २५ मिनट की चुदाई के बाद मेरा पानी निकलने वाला था। मैंने कहा, तो वो बोली, “अंदर डाल दे!” मेरा गर्मागर्म पानी उसकी चूत में गया, और वो मस्त हो गई। तभी मम्मी के आने का समय हो गया। हमने जल्दी से कपड़े पहने। इसके बाद हमने कई बार ऐसा किया, पर वो कहानी फिर कभी।

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