इस कहानी की शुरुआत मेरे जन्म से तीन साल पहले शुरू हुई, जब मम्मी-पापा की शादी को दस साल पूरे हुए, लेकिन उनको कोई बच्चा नहीं हुआ था। तो उन्होंने बच्चे को गोद लेने का फैसला लिया। इसके लिए उन्होंने अनाथालय में देखा और उनको एक लड़की पसंद आ गई। लेकिन उस लड़की की एक और जुड़वा बहन निकली। तो मम्मी-पापा ने दोनों को गोद लिया, और ठीक उसके तीन साल बाद मेरा जन्म किसी चमत्कार की तरह हुआ।
उस वक्त मैं भी नहीं जानता था कि जिस दीदी को मैं अपनी सगी बहन की तरह मानता था, उनके साथ एक दिन मुझे सेक्स करना पसंद आएगा।
हम तीनों साथ-साथ बड़े होने लगे। खेलना, पढ़ना, झगड़ना सब कुछ हम एक साथ करते थे। उस समय मैं हमेशा उन्हें अपनी सगी बहनों की तरह ही देखता था। लेकिन जब समय आगे बढ़ा और उनके शरीर में बदलाव आने लगे, तो मुझे अंदर ही अंदर लगने लगा कि मेरे भीतर भी कुछ बदल रहा था।
कभी-कभी मैं चाहता था कि इन भावनाओं को अनदेखा कर दूँ, लेकिन यह आसान नहीं था। जब भी मैं बाथरूम में जाता और वहाँ उनकी गीला ब्रा और पैंटी सूखने के लिए टंगी मिलती, तो मेरी नज़र उन पर अटक जाती। कपड़े से निकलती हल्की खुशबू और उस नमी में भीगते कपड़ों का अहसास मेरे अंदर एक अजीब सी हलचल पैदा करता।
उनके छोटे कपड़े पहनने का अंदाज़ भी मुझे बेचैन कर देता। जब वे घर में हाफ पैंट और टाइट टी-शर्ट पहनती, तो चलते समय उनके सीने का हिलना-डुलना मेरी आँखों को रोक देता। हल्की-सी चाल में उनके स्तनों की हर हरकत मुझे साफ दिखाई देती, और मैं चाह कर भी उन पर से अपनी नज़रें हटा नहीं पाता।
जब वे झुक कर कुछ उठाती, तो उनके गले से झाँकती गहरी क्लीवेज मेरी साँसे रोक देती। उस पल ऐसा लगता जैसे मेरी धड़कनें बढ़ गई हों और समय थम गया हो। कभी उनकी ढीली कुर्ती का गला इतना खुल जाता कि भीतर का ब्रा का किनारा झलक जाता। वो नज़ारा मुझे भीतर तक गर्म कर देता।
इन सब को नज़र-अंदाज़ करने की कोशिश करता, लेकिन जितना दबाता, उतनी ही गहराई से यह चाहत मुझे अपनी ओर खींचने लगती। धीरे-धीरे मैं समझने लगा कि यह केवल आकर्षण नहीं था, बल्कि एक ऐसी ख्वाहिश थी जो हर दिन मेरे अंदर और मजबूत होती जा रही थी। उससे पहले मैं अपनी बहनों के बारे में बताता हूं। मेरी पसंदीदा दीदी, उनका नाम पायल है। और दूसरी दीदी का नाम नेहा है।
मेरी दोनों बहनें, पायल दीदी और नेहा दीदी, देखने में बिल्कुल अलग थी। लेकिन दोनों ही अपनी-अपनी तरह से ख़ूबसूरत थी। पायल दीदी मेरे दिल के सबसे करीब थी। वो भोली-सी, मासूम-सी लड़की थी। हर बात मेरे साथ शेयर करती, हमेशा मुस्कुरा कर बातें करती। उनकी हँसी इतनी मीठी थी कि सुनते ही मन हल्का हो जाता। पायल दीदी का चेहरा गोल-मटोल था, बड़ी-बड़ी आँखें और गुलाबी होंठ थे।
पायल दीदी का शरीर भरा-पूरा और आकर्षक था। उनकी छाती उभरी हुई, बिल्कुल गोल और नर्म दिखाई देती। जब वो हल्की-सी भी हँसती या चलतीं, तो उनके स्तनों की हल्की-हल्की थिरकन साफ झलकती। कभी उनकी ढीली कुर्ती के भीतर से ब्रा का कपड़ा हल्का-सा बाहर झाँकता तो दिल और तेज़ धड़कने लगता। उनकी कमर पतली और लचीली थी, और उनके नीचे उठे हुए गोल-गोल पिछवाड़े हर बार मेरी नज़रें रोक लेते। जब वो झुक कर कुछ उठाती, तो उनकी चुस्त सलवार के भीतर भरा-पूरा पिछला हिस्सा साफ झलकता और मेरी साँसे तेज़ हो जाती।
दूसरी ओर नेहा दीदी थी। नेहा दीदी हमेशा मुझसे थोड़ी दूरी बनाए रखती। ना जाने क्यों उनके चेहरे पर हमेशा हल्की-सी नाराज़गी रहती। वो कम बोलती, और मुझे देखती भी कम थी। लेकिन उनकी खूबसूरती में एक अलग ही जादू था। नेहा दीदी का चेहरा लंबा और नखरे वाला था, उनकी आँखों में एक गहरी चमक थी, जैसे उसमें कोई राज़ छुपा हो। उनके होंठ मोटे और आकर्षक थे, और जब भी वो बिना वजह मुस्कुराती, तो दिल के अंदर कुछ खिंचने लगता।
नेहा दीदी का शरीर और भी ज्यादा भरा हुआ था। उनकी छाती बड़ी और भारी थी, जो हर कपड़े में साफ उभर आती थी। कभी वो घर में टाइट टी-शर्ट पहन लेती, तो उनके उभरे हुए स्तनों की गोलाई और गहराई साफ दिख जाती। उनकी कमर थोड़ी चौड़ी थी, लेकिन उसी से उनका पिछवाड़ा और भी आकर्षक लगता। चलते समय उनकी जाँघों का घर्षण और पीछे का लहराता हुआ गोल हिस्सा मुझे अंदर तक बेचैन कर देता।
लेकिन सच कहूँ तो दोनों की खूबसूरती मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं थी। पायल दीदी का भोला-पन और नेहा दीदी की नखरीली अदाएँ , दोनों ही मुझे हर दिन और गहराई से अपनी ओर खींच रही थी।
अक्सर मेरे मन में उन्हें छूने की तीव्र इच्छा उठती, खास कर पायल दीदी को। मगर हमारे रिश्ते की सीमा बीच में आ जाती और मैं डर जाता कि अगर उन्हें मेरे असली इरादों का पता चल गया तो वो क्या सोचेंगी। इसलिए मैं हमेशा अपने हाव-भाव को आम बनाने की कोशिश करता, ताकि उन्हें कुछ महसूस ना हो।
जब भी वो मुझे गले लगाती, तो उस पल उनके स्तनों का स्पर्श मेरी छाती पर मुझे भीतर तक हिला देता। कभी-कभी टीवी रिमोट के लिए हमारी लड़ाई हो जाती। ऐसे में मैं जान-बूझ कर रिमोट को देर तक पकड़े रहता ताकि वो पास आकर छीने और उस बहाने उनका सीना मुझसे टकराए। उस छोटे-से एक्सीडेंट में मुझे जो सुख मिलता, वो मैं किसी से कह नहीं सकता था।
कभी-कभी जब पायल दीदी या नेहा दीदी बाथरूम से सिर्फ तौलिए में निकलती, तो मैं रास्ते में जान-बूझ कर ऐसा दिखाता कि जैसे अचानक से आ गया हूँ। उस पल उनके गीले बालों से टपकते पानी और तौलिए के भीतर से झाँकते अंगों की झलक मुझे पागल कर देती।
मैं कई बार उनके कमरे में बिना दस्तक दिए घुस जाता, ताकि अचानक से उनकी गहरी क्लिवेज या खुला गला देख सकूँ। बाहर से दिखावा करता कि जैसे कुछ काम था, लेकिन असल में मेरा मकसद बस उनकी खूबसूरती को चोरी-चोरी निहारना था।
लेकिन अफसोस, जब उन्होंने जूनियर कॉलेज पूरा किया तो पापा ने उन्हें कोटा भेज दिया ताकि वे JEE और NEET की तैयारी कर सकें। पापा चाहते थे कि उनका एक बच्चा इंजीनियर बने और दूसरा डॉक्टर। मगर पायल दीदी और नेहा दीदी, दोनों ने तय कर लिया कि वे डॉक्टर ही बनेंगी और उसी दिशा में अपनी तैयारी शुरू कर दी। उनके जाने के बाद घर खाली-सा लगने लगा। मैं भी उसी दौरान अपनी पढ़ाई में जुट गया, ताकि मैं भी जूनियर कॉलेज अच्छे मार्क्स से पूरा कर सकूँ। लेकिन उनके जाने से मेरी ज़िंदगी में जो खालीपन आया था, उसे भरना आसान नहीं था।
दो साल बाद मैंने भी अपना जूनियर कॉलेज पूरा कर लिया। अब मेरे सामने बड़ा सवाल था कि आगे क्या करूँ। पापा चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूँ, मगर मेरे दिल की चाहत कुछ और थी। मुझे भी डॉक्टर बनना था, लेकिन ये इच्छा मेरे फ्यूचर के लिए नहीं थी। असली वजह तो ये थी कि अगर मैं डॉक्टर बनने की तैयारी के लिए कोटा चला जाऊँ, तो मैं अपनी प्यारी पायल दीदी के करीब रह सकूँगा। उनके पास रह कर मैं एक बार फिर उन्हें छूने, गले लगाने और उनकी मासूमियत में खो जाने के मौके पा सकूँगा।
पापा ने मेरे वहाँ जाने का इंतज़ाम भी कर दिया। उन्होंने कोटा में हमारे लिए एक अपार्टमेंट लिया जिसमें एक किचन और दो बेडरूम थे। पायल दीदी और नेहा दीदी एक ही कमरे में सोती थी, और मेरे लिए अलग कमरा दिया गया। मुझे संभालने की जिम्मेदारी भी पापा ने मेरी बड़ी बहनों को सौंपी। पापा ने साफ कहा था कि अब मुझे पढ़ाई के साथ-साथ अपने हर फैसले में पायल दीदी और नेहा दीदी की बात माननी होगी।
आख़िरकार वो दिन आया जब मैं अपने बैग लेकर कोटा पहुँचा। अपार्टमेंट के दरवाज़े पर मैंने दस्तक दी। दरवाज़ा नेहा दीदी ने खोला। उन्हें दो साल बाद देख कर मैं ठिठक गया। उनके तेवर और भी निखर गए थे, पहले वाली रूखी और गुस्सैल अदा अब और भी गहरी लग रही थी। मगर उनके चेहरे की सुंदरता, उनकी चमकती आँखें और गुलाबी होंठ मुझे पागल कर गए।
दो सालों में नेहा दीदी का रूप पूरी तरह से खिल चुका था। उनकी छाती अब और भी भरी-भरी और गोल हो चुकी थी। कपड़ों के अंदर कस कर भरे उनके स्तन हर सांस पर ऊपर-नीचे हिलते, जिनकी भारीपन और आकार पहले से कहीं ज़्यादा था। जब वो हल्की-सी झुकीं तो उनके क्लीवेज की गहराई और चौड़ी लग रही थी।
सिर्फ उनका सीना ही नहीं, उनका निचला हिस्सा भी और अधिक निखर चुका था। उनकी कमर अब भी पतली थी मगर उसके नीचे का घेरा चौड़ा और उभरा हुआ लग रहा था। उनका पिछला हिस्सा पहले से और गोल और भारी दिखाई दे रहा था। जब वो दरवाज़ा पकड़ कर थोड़ी-सी हिली, तो उनका भरा-पूरा पिछवाड़ा कस कर कपड़े में उभर आया। उनकी चाल में अब और भी नज़ाकत और ठहराव था, जैसे हर क़दम पर उनकी कमर का झूला और पिछवाड़े का आकार उभर कर सामने आता हो।
उनका पेट सपाट और बीच में झलकती नाभि जैसे किसी जादू की तरह चमक रही थी। खुले गले की वजह से उनकी गहरी क्लीवेज साफ़ नज़र आ रही थी, जिसने मुझे भीतर तक हिला दिया। मैं दरवाज़े पर खड़ा बस उन्हें देखता रह गया, जैसे समय ठहर गया हो।
मैंने आगे बढ़ कर उन्हें गले लगाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने सिर्फ हल्की-सी हैंडशेक की और मुस्कुरा दी। मैं थोड़ा झेंप गया और फिर अपने बैग को लेकर अंदर चला गया। अपना सामान कमरे में रख कर जब देखा तो पाया कि पायल दीदी वहाँ नहीं थी। मैंने नेहा दीदी से पूछा कि वो कहाँ हैं। उन्होंने कहा, “वो दोस्तों के साथ बाहर गई है, थोड़ी देर में आ जाएगी।”
मैंने सामान खोलना शुरू किया और सब कुछ ठीक से जगह पर रखने लगा। थोड़ी देर बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम चला गया। लगभग आधे घंटे तक मैं शॉवर के नीचे खड़ा रहा, जैसे इतने सालों की थकान और चाहत को धो रहा हूँ। फिर जब मैं सिर्फ तौलिए में बाहर निकला, तो देखा पायल दीदी घर लौट चुकी थी। वो ठीक मेरे सामने खड़ी थी, और दो साल बाद उनकी पहली झलक ने मेरा दिल तेज़ धड़काना शुरू कर दिया।
दो सालों ने पायल दीदी को पूरी तरह बदल दिया था। पहले की मासूम लड़की अब और खुबसूरत और आकर्षक लग रही थी। उनका शरीर अब और भी भर चुका था। उनके स्तन गोल और भरे-भरे हो गए थे, जिनका उभार कपड़ों के भीतर से साफ झलक रहा था। उनकी छाती की हर हल्की हरकत अब और गहरी और प्यारी लगती थी, मानो उनका हर सांस लेना मेरे भीतर बिजली दौड़ा दे।
उनकी कमर अब भी पतली थी, मगर उसके नीचे का घेरा चौड़ा और ठोस दिख रहा था। उनका पिछला हिस्सा अब पहले से कहीं ज़्यादा गोल और कसाव से भरा था। जब वो ज़रा-सी हिली, तो उनका भरा-पूरा पिछवाड़ा कपड़े में कस कर उभर आया और मेरी आँखें वहीं ठहर गई।
उनकी चाल में अब और भी नज़ाकत और खूबसूरती की झलक थी, जैसे हर क़दम पर उनकी कमर का झूला और पिछवाड़े का आकार और खुल कर सामने आता हो। मैं तौलिए में खड़ा उन्हें बस देखता रह गया, और दिल की धड़कनें तेज़ होती चली गई।
मुझे देखते ही पायल दीदी की आँखों में चमक आ गई। वो अचानक बहुत खुश लग रही थी और दौड़ते हुए मेरी ओर आई। पलक झपकते ही उन्होंने मुझे कस कर गले से लगा लिया। उनके गर्म और भरे हुए स्तन मेरी नंगी छाती से दब कर चिपक गए। उस पल का एहसास इतना गहरा था कि मुझे लगा जैसे मेरी साँसें थम जाएँ। उनका नरम सीना मेरी छाती से रगड़ खाकर मुझे पागल कर रहा था, हर दबाव पर मेरी रूह कांप उठी।
उनके शरीर की गर्माहट ने मेरे भीतर आग जला दी। उनके स्तनों का भार और कसाव मेरी छाती पर साफ महसूस हो रहा था। मैं खुद को संभालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरे भीतर का जोश रोकना मुश्किल था। मेरा लंड धीरे-धीरे सख़्त होकर ऊपर उठ गया और तौलिए के अंदर से बाहर की ओर तन कर उनकी जांघ से छूने लगा।
पायल दीदी को इसका एहसास हुआ, उनकी साँसें हल्की-सी रुक गई। उनकी आँखों में एक पल के लिए अजीब-सी झिझक और संकोच आया, लेकिन अगले ही पल उन्होंने अनदेखा कर दिया, जैसे कुछ हुआ ही ना हो। मगर मैं जानता था कि उन्होंने सब महसूस किया है।
फिर हल्की मुस्कान के साथ उन्होंने कहा, “जाओ, जल्दी कपड़े बदल लो। फिर मैं तुम्हें कोटा घुमाने ले चलती हूँ।” उनकी आवाज़ में अपनापन और उत्साह था, जैसे वो भी इस पल का बेसब्री से इंतज़ार कर रही हों।
उस शाम मैंने जल्दी से कपड़े बदले और पायल दीदी मुझे बाहर घुमाने ले गई। नेहा दीदी हमारे साथ नहीं आई। पायल दीदी ने ढीली-सी टीशर्ट और छोटे-से शॉर्ट्स पहन रखे थे। उनका यह कैज़ुअल अंदाज़ और भी दिलकश लग रहा था। जैसे ही हम सड़कों पर चले, मेरी नज़र बार-बार उनकी चलती हुई छाती पर चली जाती। हर क़दम के साथ उनकी गोल, भरी हुई छाती टी-शर्ट के अंदर उछलती और हिलती थी, और मैं चाहकर भी अपनी नज़रें वहाँ से हटा नहीं पा रहा था। पूरा शहर घूमते हुए भी मेरा ध्यान बस उनके उछलते स्तनों और उनके शरीर की खूबसूरती पर ही अटका रहा।
उसके बाद कुछ ही दिनों में कोचिंग सेंटर शुरू हो गया, लेकिन मैं अक्सर वहाँ नहीं जाता था। पढ़ाई में मुझे कोई पसंद नहीं थी, ना घर पर किताबें पढ़ना पसंद था और ना ही लेक्चर में बैठना। कभी-कभी मैं बाथरूम में उनकी छूटी हुई ब्रा और पैंटी पर नज़र डालता, कभी घर में कोई नहीं होता तो पोर्न वीडियो देखने लग जाता। महीनों बीत गए, लेकिन मैं एक भी शब्द पढ़ने में सफल नहीं हो पाया। मेरी दिन बस फिल्मों और पोर्न वीडियो तक सिमट गई था।
पायल दीदी और नेहा दीदी हमेशा मुझे पढ़ाई के लिए समझाती, लेकिन मैं उनकी नहीं सुनता था। जब पापा कॉल करते, तो पायल दीदी या नेहा दीदी मेरे लिए झूठ बोलकर कह देती कि मैं रोज़ मेहनत से पढ़ाई करता हूँ। इससे उन्हें काफी दुख होता, लेकिन मैं कभी नहीं मानता था और अपनी मस्ती में ही लगा रहता था।
एक दिन पायल दीदी और नेहा दीदी ने फैसला किया कि मुझे घर पर ही ट्यूशन दी जाएगी। उन्होंने सब्जेक्ट बांट लिए और रोज़ शाम को मेरी रूम में आकर पढ़ाना शुरू कर दिया। लेकिन मैं कभी उनकी बातों पर ध्यान नहीं देता था। उनकी कोशिशों को मैं अनदेखा कर देता और कई बार तो यह दिखाने के लिए कि मैं सो रहा हूँ, किसी के कमरे में आने पर आँखें बंद कर लेता। हर रोज़ वे मेरी पढ़ाई के लिए समय निकालती, लेकिन मैं पूरी तरह अनसुन रहा था।
कमरे में कभी-कभी मैं सुन सकता था कि वे आपस में मेरे बारे में फुसफुसा रही थी, मेरी पढ़ाई की चिंता कर रही थी, और पापा द्वारा दिए गए जिम्मेदारियों के बारे में बातें कर रही थी। वे अक्सर पापा से झूठ बोल कर मुझे अच्छा दिखाने की कोशिश करती थी, ताकि वे उदास ना हों, लेकिन उनकी चिंता और मेहनत मुझे भी सुनाई देती थी। महीनों बीत गए, लेकिन फिर भी मैं उनकी बातें अनसुनी करता रहा। फिर भी पायल दीदी और नेहा दीदी कभी हार नहीं मानती और हर रोज़ रात को मेरी रूम में पढ़ाने आती रहीं, जबकि मैं हमेशा उनकी अनदेखी करता रहा।
एक दिन रात करीब 8 बजे, नेहा दीदी मेरे कमरे में आई। उस समय मैं इयरफोन लगा कर मूवी देख रहा था, लेकिन जैसे ही दरवाज़ा खुला और वो अंदर आई, मैं उन्हें नज़र-अंदाज़ नहीं कर पाया।
उन्होंने उस रात बहुत छोटी ड्रेस पहनी थी। उनकी ड्रेस इतनी फिट और शॉर्ट थी कि उनकी छाती का उभार साफ दिख रहा था। उनके स्तन हल्के-हल्के हिलते हुए उनकी ड्रेस के कपड़े को और टाइट बना रहे थे। उनकी पतली कमर के नीचे नाभि की हल्की झलक भी ड्रेस से साफ दिखाई दे रही थी।
वो धीरे-धीरे मेरे कमरे के अंदर चली आई और सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई। जैसे ही उन्होंने टाँगें क्रॉस की, उनकी ड्रेस और ऊपर खिसक गई और मुझे उनकी पैंटी की झलक दिख गई। वह सफेद कपड़े की हल्की सी लाइन थी, जो उनके गोरे जांघों के बीच से नज़र आ रही थी। मैं उस पल उनसे अपनी नज़रें हटा ही नहीं पा रहा था।
उनके बैठने का अंदाज़, उनकी छाती का उठना-गिरना, और उनकी ड्रेस से झलकती नाभि और पैंटी ने माहौल को और भी गर्म बना दिया। मैं दिखावे में मूवी देखने का नाटक कर रहा था, लेकिन मेरी आँखें बार-बार उन्हीं पर जाकर ठहर रही थी।
कुछ देर चुप्पी रही, फिर उन्होंने गहरी साँस लेकर कहा, “मुझे तुमसे बात करनी है।”
मैंने तुरंत मना कर दिया और कहा कि मुझे पढ़ाई नहीं करनी। लेकिन वो मुस्कुराई और बोली, “ये पढ़ाई की बात नहीं है।” इतना कह कर उन्होंने अपनी टाँगों को और फैलाया। ड्रेस और खिसकी और उनके जांघों का ज़्यादा हिस्सा सामने आ गया। पैंटी के नीचे की झलक अब और गहरी हो चुकी थी, जैसे कपड़े के पीछे दबा रहस्य बाहर आने को हो। हल्की रौशनी में उनकी अदाएं मुझे और बेचैन कर रही थी।
उनके लहजे और बदन की हरकतों से साफ लग रहा था कि वो मुझे किसी और ही तरह की बात बताना चाहती हैं। कमरे का माहौल और भी भारी हो गया, और मैं दिखावे में मूवी देखने का नाटक कर रहा था, लेकिन मन पूरा उन्हीं पर अटका हुआ था।
फिर उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए धीरे-धीरे कहना शुरू किया “मुझे पता है, तुम कैसी नज़रें हम पर डालते रहे हो। तुम्हारी आँखें हमेशा हमें देखने की कोशिश करती थी। कई बार तुमने छूने की कोशिश भी की और फिर ऐसे जताया जैसे सब बस गलती से हुआ हो।”
वो थोड़ा रुक कर बोली, “पायल दीदी मासूम है, उसे इन बातों का एहसास नहीं हुआ। लेकिन मैं सब समझती रही हूँ।”
ये सुन कर मैंने धीरे-धीरे अपना मोबाइल एक तरफ रख दिया और उनकी ओर देखने लगा। उनके चेहरे पर जो गंभीरता और अटिट्यूड था, उसने मुझे और घबरा दिया। मेरा गला सूख गया और मैंने धीरे से कहा, “मैं समझ नहीं पा रहा कि आप क्या कह रही हैं।”
नेहा दीदी ने बिना झिझक के कहा, “पापा ने तुम्हारी ज़िम्मेदारी हमें दी है। अगर मैं तुम्हें अपने बूब्स दिखाऊं, तो क्या तुम वैसे पढ़ाई करोगे जैसे मैं चाहती हूँ?”
मैं बिल्कुल समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या कहना चाहिए। मेरे होंठ सूखे हुए थे, शब्द गले में ही अटक गए। बस धीरे से मैंने सिर हिलाकर ‘हाँ’ कर दिया।
मेरे इस हल्के से इशारे के बाद नेहा दीदी के चेहरे पर एक अजीब भरोसा झलकने लगा। उन्होंने धीरे-धीरे अपने हाथ ऊपर उठाए और अपनी टी-शर्ट पकड़ कर उसे ऊपर की ओर खींचा। पल भर में उनकी टी-शर्ट ज़मीन पर गिर चुकी थी। मेरे सामने उनकी पतली काया पर गुलाबी रंग की ब्रा चमक रही थी। कमरे की हल्की रोशनी में उनकी त्वचा और भी गोरी लग रही थी। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा।
फिर, बिना किसी हिचकिचाहट के उन्होंने अपनी गुलाबी ब्रा के हुक खोल दिए। जैसे ही ब्रा ढीली हुई, पहली बार मेरी आँखों के सामने नेहा दीदी के भरे-पूरे स्तन खुल कर आ गए।
उनके स्तनों का नज़ारा इतना मोहक था कि मैं पलक झपकाना भी भूल गया। उनके दोनों स्तन गोलाई लिए हुए, पूरी तरह से भरे और ऊपर की ओर उठे हुए थे। त्वचा इतनी मुलायम और चिकनी लग रही थी कि मानो रुई जैसी नर्म हो। हल्की-हल्की नसें दूधिया त्वचा के नीचे झाँक रही थी, जिससे उनकी सफेदी और भी गहरी दिख रही थी।
उनके निप्पल हल्के गुलाबी रंग के थे, और उनके चारों ओर की गोलाई हल्की भूरेपन के साथ उभरी हुई थी। निप्पल पूरी तरह तनकर खड़े थे, जैसे मेरी आँखों की गर्माहट ने उन्हें और मोहक कर दिया हो। हर सांस के साथ उनके स्तन हल्के-हल्के ऊपर-नीचे हिल रहे थे, और यह नजारा मेरे दिल की धड़कनों को और तेज़ कर रहा था।
मैंने महसूस किया कि उनके स्तनों का आकार किसी भी नौजवान के सपनों जैसा था, ना ज़्यादा बड़े, ना छोटे, बस एक-दम सही गोलाई और कसावट लिए हुए।
मेरी साँसे थमने लगी। यह ज़िंदगी में पहली बार था जब मैं किसी औरत के सीने को इतना करीब से देख रहा था, और वो भी अपनी ही नेहा दीदी का। उनके हर उभार, हर वक्र और हर धड़कती नस को देख कर मेरा पूरा शरीर सिहर उठा।
मैंने धीरे से कांपती आवाज़ में पूछा “दीदी… क्या मैं इन्हें छू सकता हूँ?” नेहा दीदी ने मुझे देखा, उनकी आँखों में हल्की शरारत और अपनापन था। उन्होंने धीमे से मुस्कुरा कर कहा “हाँ… तुम छू सकते हो।”